भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रोहित शर्मा ने 7 मई 2025 को टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने की आधिकारिक घोषणा कर दी। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा,
“मैं टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले रहा हूँ… सफ़ेद जर्सी में देश का प्रतिनिधित्व करना मेरे लिए हमेशा सम्मान की बात रही है। मैं आगे भी वनडे टीम के लिए उपलब्ध रहूँगा।”
बीसीसीआई ने भी पुष्टि की कि रोहित अब केवल वनडे प्रारूप में टीम की कमान संभालते रहेंगे।

रोहित शर्मा का टेस्ट करियर की उपलब्धियाँ
रोहित शर्मा ने अपने टेस्ट करियर में कुल 67 मैच खेले और 4301 रन बनाए। उनका औसत 40.57 रहा, जिसमें 12 शतक और 18 अर्धशतक शामिल हैं।
उनका सर्वोच्च स्कोर 212 रन रहा, जो उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ रांची टेस्ट में बनाया था। 2013 से 2025 तक का उनका सफर भारतीय टेस्ट क्रिकेट के एक सुनहरे अध्याय की तरह याद किया जाएगा।
करियर की प्रमुख झलकियाँ
- नवंबर 2013 में वेस्टइंडीज के खिलाफ कोलकाता में टेस्ट डेब्यू किया।
- डेब्यू सीरीज़ में ही दो शतक जड़े और अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।
- 2019 में बतौर ओपनर टेस्ट टीम में वापसी की और कई अहम पारियां खेलीं।
- दिसंबर 2022 में उन्हें भारतीय टेस्ट टीम का कप्तान नियुक्त किया गया।
- कप्तान रहते हुए उन्होंने 24 मैचों में 12 जीत दर्ज कीं — 50% जीत दर।
विशेषज्ञों की प्रतिक्रियाएं

बीसीसीआई अध्यक्ष ने कहा,
“रोहित का प्रभाव सिर्फ आँकड़ों तक सीमित नहीं था; उन्होंने भारतीय ड्रेसिंग रूम में स्थिरता और आत्मविश्वास भरा।”
हर्षा भोगले ने ट्वीट किया,
“आप एक शानदार खिलाड़ी, लीडर और इंस्पिरेशन रहे। टेस्ट क्रिकेट को आपकी कमी ज़रूर खलेगी।”
गौतम गंभीर ने उन्हें “एक असली फाइटर” कहा, वहीं अनिल कुंबले ने रोहित की कप्तानी को “संतुलन और दूरदर्शिता” से परिपूर्ण बताया।
रोहित शर्मा के प्रशंसकों की प्रतिक्रियाएं
सोशल मीडिया पर रोहित के रिटायरमेंट की खबर के बाद फैंस की भावनाएं उमड़ पड़ीं।
“हमेशा के लिए हमारा टेस्ट कप्तान”, “शुभकामनाएं हिटमैन”, “आपकी बल्लेबाज़ी मिस करेंगे” जैसे कमेंट्स ट्रेंड करने लगे।
उनकी पत्नी रितिका सजदेह ने भी इंस्टाग्राम पर एक इमोजी के ज़रिए अपनी भावनाएं ज़ाहिर कीं।
बीसीसीआई ने एक भावुक संदेश में लिखा —
“सफ़ेद जर्सी में आपके योगदान के लिए धन्यवाद। आपने हमें गौरवान्वित किया।
रोहित शर्मा सिर्फ एक बल्लेबाज़ नहीं थे — वे एक लीडर, एक प्रेरणा और टेस्ट क्रिकेट के एक शांत योद्धा थे।
उनके जाने से एक युग का अंत ज़रूर हुआ है, लेकिन उनकी विरासत भारतीय क्रिकेट में हमेशा ज़िंदा रहेगी।